शंकर… सर्वशक्तिमान शंकर… कण-कण में शंकर!

महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर देवभूमि शिवमय हो उठी है। हर ओर “बम-बम भोले” के जयकारे गूंज रहे हैं, मंदिरों में घंटों की आवाज़ भक्तों के उल्लास में संगती कर रही है। भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए श्रद्धालु आधी रात से ही मंदिरों के बाहर लंबी कतारों में खड़े हैं। आस्था और भक्ति का यह अनुपम संगम देवभूमि के कोने-कोने में देखने को मिल रहा है।

शिव-पार्वती विवाह की पावन घड़ी—
हिंदू धर्म के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इस दिन देवाधिदेव महादेव ने गृहस्थ जीवन को अपनाया। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यही कारण है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

शिवालयों में उमड़ा भक्तों का सैलाब—
बुजुर्ग हो या युवा, पुरुष हो या महिलाएं, हर कोई भगवान शिव के दर्शन के लिए आतुर है। मंदिरों में रुद्राभिषेक और दुग्धाभिषेक किया जा रहा है। भोलेनाथ की आराधना में भक्त तल्लीन हैं और शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा अर्पित कर रहे हैं। धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि शिव की पूजा करने से समस्त दुखों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

शुभ मुहूर्त में पूजा का विशेष फल—
महाशिवरात्रि का पूरा दिन शिव आराधना के लिए समर्पित होता है, लेकिन शुभ मुहूर्त में की गई पूजा का विशेष फल मिलता है। शिव “कालों के काल” महाकाल हैं, इसलिए उनकी पूजा पर भद्रा और पंचक जैसे अशुभ कालों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इस वर्ष 1965 के बाद यह दूसरा अवसर है जब महाशिवरात्रि धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनी करण और मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में पड़ रही है। यह एक दुर्लभ संयोग है, जो लगभग एक शताब्दी में एक बार बनता है।

रात्रि जागरण से दूर होंगे सभी कष्ट–
धार्मिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि की रात जागरण करने और शिव-पार्वती की आराधना करने से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस रात्रि में जागकर शिव मंत्रों का जाप करने और “ओम नमः शिवाय” का उच्चारण करने से जीवन के समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। इस दिन चार प्रहर की साधना से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

सालभर में पड़ती हैं 12 शिवरात्रियां—
हालांकि, हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है, जिसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता है। इस प्रकार सालभर में कुल 12 शिवरात्रियां आती हैं, लेकिन फाल्गुन मास की शिवरात्रि को विशेष महत्व प्राप्त है, जिसे महाशिवरात्रि कहा जाता है।

कैसे करें भगवान शिव को प्रसन्न?—
भगवान भोलेनाथ क्षण में रूठते हैं और क्षण में ही प्रसन्न भी हो जाते हैं। उन्हें मनाना बहुत सरल है। महाशिवरात्रि के दिन चार पहर की पूजा करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव का अभिषेक दूध, दही, शहद, गन्ने के रस से किया जाता है। साथ ही, भगवान के प्रिय भांग, धतूरा और बेलपत्र अर्पित कर शिव को प्रसन्न किया जाता है।
शिवमय हुई देवभूमि—
आज के दिन देवभूमि शिवमय हो गई है। मंदिरों में घंटों की गूंज, श्रद्धालुओं की भीड़, और आस्था से ओत-प्रोत वातावरण इस पर्व की महिमा को और बढ़ा रहा है। श्रद्धालु भगवान शिव के चरणों में अपने कष्टों का समाधान खोज रहे हैं और भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए निरंतर साधना कर रहे हैं।
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं! हर-हर महादेव!