मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुजफ्फरनगर स्थित शहीद स्थल रामपुर तिराहा में राज्य आंदोलनकारी शहीदों की पुण्य स्मृति पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में कहा कि राज्य आंदोलनकारियों के संघर्षों से ही हमें उत्तराखंड राज्य मिला है। उन्होंने आश्वस्त किया कि आंदोलनकारियों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करना सरकार की प्राथमिकता और कर्तव्य है। धामी ने कहा कि सरकार राज्य आंदोलनकारियों को ’एक समान पेंशन’ देने के लिए कार्ययोजना तैयार कर रही है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शहीद स्थल रामपुर तिराहा, मुजफ्फरनगर में राज्य आंदोलनकारियों के बलिदान की पुण्य स्मृति के आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर एक समय वे भावुक हुए बिना न रह सके। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड आंदोलन के लिए आंदोलनकारियों को रामपुर तिराहे कांड का गहरा जख्म मिला है, जो कभी भर नहीं सकता है। हर उत्तराखंडी इस जख्म को याद करता है। इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड के बलिदानियों के नाम लेकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेश में रामपुर तिराहा गोलीकांड की 29वीं बरसी पर वीर शहीद राज्य आंदोलनकारियों की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित होकर पृथक राज्य निर्माण हेतु अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले शहीद आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
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— Pushkar Singh Dhami (Modi Ka Parivar) (@pushkardhami) October 2, 2023
वहीं उन्होंने सभी आंदोलनकारियों को पूरा मान-सम्मान और अधिकार देने का भी संकल्प दोहराया। कहा कि सभी आंदोलनकारियों की एक समान पेंशन हो, इसके लिए सरकार के स्तर पर कवायद शुरू हो गई है। हमने आंदोलनकारियों को पूरा मान-सम्मान और अधिकार देने का संकल्प लिया है। सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया है। सरकार आंदोलनकारियों के कल्याण के लिए वचनबद्ध है।
गौर हो कि राज्य आंदोलनकारियों को वर्तमान में तीन अलग-अलग श्रेणियों में पेंशन दी जाती है। सामान्य चिह्नित आंदोलनकारियों को 4500 रुपये, सात या उससे अधिक दिन जेल गए आंदोलनकारियों 6000 रुपये और रासुका के तहत जेल में रहे आंदोलनकारियों को 10 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जा रही है। राज्य आंदोलन से जुड़े संगठनों ने मुख्यमंत्री से आंदोलनकारियों की पेंशन के एक समान करने की मांग उठाई थी।
आपको बता दें कि 29 साल पहले 2 अक्टूबर 1994 को अलग उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर आंदोलनकारी दिल्ली के लाल किला पर प्रस्तावित रैली में भाग लेने जा रहे थे। इस दौरान रामपुर तिराहा पर आंदोलनकारियों को रोककर दिल्ली जाने से रोका गया। आंदोलनकारियों ने विरोध किया, इस दौरान पुलिस फायरिंग और लाठीचार्ज में कई आंदोलनकारियों की मौत हो गई तो कई लापता हो गए थे।
उत्तराखंड के इतिहास में एक काला अध्याय है “2 अक्टूबर”, पुलिस ने की थी अमानवीयता की सारी हदें पार