उत्तराखंड HC के स्थानांतरण के लिए हल्द्वानी के गौलापार का प्रस्ताव खारिज, अधिवक्ताओं समेत नागरिकों की भी ली जायेगी राय

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हल्द्वानी-उत्तराखंड हाईकोर्ट की शिफ्टिंग का मामला एक बार फिर अधर में लटक गया है। उच्च न्यायालय ने इसके के लिए हल्द्वानी के गौलापार में प्रस्तावित भूमि को खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश ने गौलापार को इसके लिए अनुपयुक्त/ अयोग्य बताते हुए अधिवक्ताओं से नए सिरे से इसके लिए स्थान सुझाने को कहा है।

मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ ने एक न्यायिक आदेश जारी कर सरकार को निर्देश दिए हैं। पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि नैनीताल एक पर्यटक शहर है। यहां देश-विदेश के पर्यटक आते हैं। यहां यातायात एक बड़ी समस्या है। पहाड़ी क्षेत्र होने के नाते उच्च न्यायालय का विस्तार संभव नहीं है। तीन न्यायाधीशों की क्षमता वाले उच्च न्यायालय में मौजूदा समय में 20 न्यायाधीश हैं। न्यायालय ने कहा कि आने वाले 50 वर्षों में न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर 80 तक पहुंच जाएगी, जो कि नैनीताल के लिहाज से एकदम नाकाफी है। अदालत ने कहा कि सड़क मार्ग और चिकित्सा सुविधाओं में कमी के कारण वादकारियों और युवा अधिवक्ताओं को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्र से आने वाले वादकारियों को पहुंचने में दो से तीन दिन लगते हैं।

अदालत ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने 15 सितम्बर, 2022 को हाईकोर्ट को शिफ्ट करने का संकल्प लिया था। इसलिए इस संकल्प को निष्कर्ष तक पहुंचना चाहिए। वहीं आदेश में यह भी कहा गया कि प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय की नई इमारत बनाए जाने के लिए हल्द्वानी के गौलापार में 26 हेक्टेयर भूमि की पेशकश की है, लेकिन इस भूमि के 75 प्रतिशत हिस्से में जंगल मौजूद है। पीठ ने यह भी कहा कि अदालत इतनी बड़ी मात्रा में पेड़ों के कटान के पक्ष में नहीं है। पीठ का मत है कि आगामी 50 वर्षों को देखते हुए उच्च न्यायालय के स्थानांतरण की योजना बनाई जानी चाहिए।

वर्ष 2000 में पृथक राज्य बनने पर 9 नवंबर 2000 को हाइकोर्ट की स्थापना की गई थी। तब केंद्रीय कानून मंत्री अरुण जेटली का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था। 2019 में वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी कांडपाल ने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन को पत्र देकर कोर्ट को यहां से हल्द्वानी शिफ्ट करने की मांग की। हाइकोर्ट ने 26 जून 2019 को अपनी वेबसाइट पर शिफ्टिंग के स्थानों को लेकर सुझाव आमंत्रित किए। अधिवक्ता इस पर आपस में बंट गए और कोर्ट को नैनीताल में ही रहने देने से लेकर हल्द्वानी, रामनगर, रूड़की, हरिद्वार, रुद्रपुर देहरादून, अल्मोड़ा और गैरसैंण में स्थापित करने के सुझाव आए जिनसे किसी निष्कर्ष पर पहुंचना कठिन था। लेकिन बाद में गौलापार में वन विभाग की जू के लिए प्रस्तावित भूमि के एक भाग में इसे स्थापित करने की सहमति हाइकोर्ट ने दी।

पीठ ने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को निर्देश देते हुए कहा कि वह एक महीने के अंदर भूमि का चयन करे और आगामी 07 जून तक रिपोर्ट अदालत में पेश करे। अदालत ने रजिस्ट्रार जनरल की अध्यक्षता में भी एक समिति के गठन के निर्देश भी दिए हैं। समिति में प्रमुख सचिव (विधायी), प्रमुख सचिव संसदीय कार्य, प्रमुख सचिव गृह के साथ ही दो वरिष्ठ अधिवक्ता तथा उ0 बार कौंसिल की ओर से नामित सदस्य को शामिल किया गया है। समिति सभी पक्षों की राय के बाद एक महीने में अदालत में रिपोर्ट पेश करेगी। अदालत ने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिए कि वह एक पोर्टल का गठन करे। अधिवक्ता और जनता उच्च न्यायालय के स्थानांतरण को लेकर 31 मई तक अपना मत पोर्टल पर दे सकती है।  


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