उत्तराखंड में राजनीतिक उठापटकों का जोर जारी है, हरक सिंह रावत अपनी प्रेसर पॉलिटिक्स के रूप में जाने जाते हैं लेकिन आज यही प्रेसर पॉलिटिक्स उन पर भारी पड़ती दिखाई देने लगी है और लगने लगा है कि उन पर “न खुदा ही मिला, न बिसाले सनम” वाली बात फिट बैठ रही है। कल भाजपा से 6 साल के लिए निष्कासित होने के बाद हरक सिंह रावत के लिए कांग्रेस के दरवाजे खुले होना माना जा रहा था, और लगने लगा था की वह जल्द ही अब कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। लेकिन हालात इशारा कर रहे हैं की हरक सिंह रावत के लिए कांग्रेस में वापसी की राह आसान नहीं होने वाली है। लगता है कि हरीश रावत अभी भी 18 मार्च 2016 की घटना को दिल से भुला नही पा रहे हैं। उस घटना के खेवनहार माने जाते हरक सिंह रावत की वापसी के संबंध में हरीश रावत ने साफ शब्दों में कह दिया है कि हरक सिंह रावत जैसे व्यक्तियों की कांग्रेस में वापसी कराने का सीधा-सीधा अर्थ कार्यकर्ताओं के मनोबल को तोड़ने जैसा है। साथ ही हरीश रावत ने कहा कि हरक सिंह रावत लोकतंत्र के हत्यारे हैं और उन्होंने 2016 में एक अच्छी चलती हुई सरकार को गिराने का भरसक प्रयास किया था और आज जब भाजपा में उनकी दबाव की राजनीति चल नहीं पा रही है तो उन्हें कांग्रेस का दरवाजा दिख रहा है। हरीश रावत ने आलाकमान से सीधा-सीधा कह दिया है कि हरक सिंह रावत को कांग्रेस में शामिल करने से पार्टी को प्रदेश में बड़ा नुकसान हो सकता है। ऐसे में हरक सिंह रावत की कांग्रेस में वापसी की राह बहुत कठिन हो गई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि दो धड़ों में बंटी कांग्रेस में हरक सिंह रावत की वापसी को लेकर मतभेद हैं।

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