8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भारतीय रेलवे ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए साईनगर शिरडी वंदे भारत एक्सप्रेस को पूरी तरह महिला चालक दल के हवाले कर दिया। यह ट्रेन छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) से सुबह 6:20 बजे रवाना हुई, जिसमें संचालन से लेकर यात्री सेवाओं तक हर जिम्मेदारी महिलाओं ने संभाली। इस पहल ने रेलवे में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और सशक्तिकरण को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

महिला चालक दल ने रचा नया अध्याय—
इस ट्रेन का संचालन एशिया की पहली महिला लोको पायलट सुरेखा यादव और सहायक लोको पायलट संगीता कुमारी ने किया। ट्रेन संचालन की निगरानी की जिम्मेदारी श्वेता घोने ने संभाली। वहीं, ट्रैवलिंग टिकट परीक्षक (टीटीई) की टीम में अनुष्का केपी, एमजे राजपूत, सारिका ओझा, सुवर्णा पश्ते, कविता मराल और मनीषा राम शामिल रहीं। इसके अलावा, ऑन-बोर्ड कैटरिंग स्टाफ से लेकर ट्रेन मैनेजर तक की सभी भूमिकाओं को भी महिलाओं ने ही संभाला।

रेलवे की प्रतिबद्धता को मिला नया आयाम—
भारतीय रेलवे ने इस पहल को लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। रेलवे के एक बयान में कहा गया, “यह कदम न केवल महिलाओं के समर्पण और नेतृत्व को सम्मानित करता है, बल्कि रोजगार के क्षेत्र में समावेशिता को भी बढ़ावा देता है।” इस पहल के जरिए रेलवे ने यह दर्शाया कि महिलाओं को हर क्षेत्र में समान अवसर दिए जाने चाहिए और वे किसी भी चुनौती को सफलतापूर्वक संभालने में सक्षम हैं।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का महत्व—
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक उपलब्धियों का उत्सव मनाना और लैंगिक समानता के प्रति जागरूकता फैलाना है। इस वर्ष की थीम #InspireInclusion (समावेशन को प्रेरित करें) रखी गई है, जिसके तहत समाज में महिलाओं की बदलती भूमिका और उनके अधिकारों को मजबूत करने पर जोर दिया गया है।

महिला कर्मचारियों की बढ़ती भागीदारी—
रेल मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में रेलवे में महिला कर्मचारियों की संख्या में 72% की वृद्धि हुई है। इस पहल से न केवल यात्रियों को सुरक्षित और समावेशी वातावरण मिलेगा, बल्कि युवतियों के लिए रेलवे करियर को एक आकर्षक विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। यह ऐतिहासिक निर्णय भारत में महिलाओं के बढ़ते प्रभाव और उनकी नेतृत्व क्षमता को प्रदर्शित करता है।

भारतीय रेलवे की इस पहल ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक नई मिसाल कायम की है और भविष्य में ऐसे और भी कदम उठाए जाने की संभावना को बल दिया है।