हरिद्वार में मनरेगा घोटाला उजागर, दो ग्राम विकास अधिकारी निलंबित
प्रधानमंत्री आवास योजना में लापरवाही पर एक अधिकारी की वेतन वृद्धि पर लगी रोक
हरिद्वार, 18 जुलाई |
हरिद्वार जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत हुए गड़बड़झाले पर जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए बड़ी कार्रवाई की है। बहादराबाद ब्लॉक की ग्राम पंचायत गढ़ और आन्नेकी में मनरेगा कार्यों में अनियमितता की शिकायतों के बाद दो ग्राम विकास अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
जिला विकास अधिकारी की जांच में दोषी पाए गए ग्राम विकास अधिकारी रविंद्र सैनी और प्रमोद सैनी पर निलंबन की कार्रवाई की गई है। जांच में यह तथ्य सामने आए कि मनरेगा कार्यों में मृत व्यक्तियों के नाम पर मास्टर रोल तैयार किए गए थे। इस गंभीर लापरवाही पर जांच पूरी होने के साथ ही दोनों अधिकारियों पर तत्काल प्रभाव से निलंबन की कार्रवाई की गई।
प्रधानमंत्री आवास योजना में लापरवाही, एक साल की वेतन वृद्धि रोकी गई
वहीं, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत फोटो अपलोडिंग में लापरवाही बरतने के मामले में भी कार्रवाई की गई है। ब्लॉक भगवानपुर की ग्राम पंचायत इब्राहिमपुर मसाही के तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी विनय प्रताप पर एक वर्ष की वेतन वृद्धि पर स्थायी रोक लगा दी गई है। आरोप है कि उन्होंने केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुरूप निर्माण कार्यों की फोटोग्राफ भारत सरकार के पोर्टल पर अपलोड नहीं की थीं।
इस मामले की जांच ग्राम्य विकास विभाग के परियोजना निदेशक केएन तिवारी द्वारा की गई, जिसमें विनय प्रताप दोषी पाए गए। परियोजना निदेशक ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की, जिस पर अमल करते हुए वेतन वृद्धि पर रोक लगाई गई है।
‘जीरो टॉलरेंस’ नीति पर प्रशासन कायम
मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि प्रशासन भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर पूरी सख्ती से अमल कर रहा है। सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी प्रकार की अनियमितता या लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। समय-समय पर योजनाओं की निगरानी और जांच के माध्यम से पारदर्शिता सुनिश्चित की जा रही है।