आज मसूरी गोलीकांड की बरसी है। मसूरी गोलीकांड की बरसी पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनकी सरकार शहीदों के सपनों का राज्य बनाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है।
उत्तराखंड इतिहास का ऐसा काला अध्याय जब पहाड़ों की रानी मसूरी गोलियों की आवाज से गूंज उठी थी। पुलिस की गोली से 6 लोग शहीद हो गए थे। एक पुलिस अधिकारी की भी मौत हुई थी। मसूरी गोलीकांड की बरसी पर सीएम धामी ने शहीदों को नमन करते हुए कहा कि कि उत्तराखंड की नींव को बलिदानियों ने अपने खून से सींचा है। वीर बलिदानियों सहित हम सभी का सपना था उत्तराखंड बने। यह कल्पना अदुभत थी। शहीदों के सपनों का राज्य बनाने के लिए सरकार निरंतर कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज उत्तराखंड देश के कई राज्यों में अग्रणी राज्य बना है। हमारी सरकार द्वारा युवाओं, महिलाओं के उत्थान के लिए कई कार्य किए जा रहे। आने वाले दस वर्ष राज्य विकास के शिखर पर होगा। सीएम ने कहा कि नकल माफियाओं पर सरकार ने शिकंजा कसा है। युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नही होने देंगे। सौ से भी ज्यादा नकल माफियाओं को जेल भेजने का काम सरकार ने किया है। सख्त नकल कानून सरकार लाई है। संपत्ति जब्त करने का भी प्रावधान किया गया है।
इस अवसर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भी आंदोलनकारियों के संघर्ष और मातृ शक्ति के योगदान को नमन करते हुए कहा कि शहीदों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने का निर्णय उनके सपनों का राज्य बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
गौर हो कि 1 सितंबर को तत्कालीन उत्तर प्रदेश की पुलिस ने खटीमा में भयानक गोलीकांड किया था। पुलिस की गोली से 7 राज्य आंदोलनकारी शहीद हो गए थे। इसके विरोध में 2 सितंबर 1994 को आंदोलनकारियों ने मसूरी में जुलूस निकाला। जुलूस मसूरी झूलाघर पहुंचा। यहां पर वर्तमान शहीद स्थल पर संयुक्त संघर्ष समिति कार्यालय में सभी प्रदर्शनकारी एकत्रित हुए। इस दौरान पीएसी व पुलिस ने आंदोलनकारियों पर बिना पूर्व चेतावनी के अकारण ही गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। जिसमे छह राज्य आंदोलनकारी बलवीर सिंह नेगी, धनपत सिंह, राय सिंह बंगारी, मदन मोहन ममगाईं, बेलमती चौहान, हंसा धनाई तथा एक पुलिस अधिकारी भी गोली का शिकार हो गया था।
उत्तराखंड के इतिहास में एक काला अध्याय है “2 अक्टूबर”, पुलिस ने की थी अमानवीयता की सारी हदें पार