युवाओं के लिए सेना में भर्ती के खुलेंगे रास्ते, जल्द होने जा रहा है “टूर ऑफ ड्यूटी” का एलान

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भारत सरकार अब सेनाओं में भर्ती के लिए नई प्रक्रिया लाने जा रही है। इस प्रक्रिया का नाम ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ है। इस प्रक्रिया के तहत युवाओं को चार साल के लिए सेना में भर्ती किया जाएगा। चार साल की सेवा देने के बाद इन सैनिकों को आम जीवन में लौटने के लिए सरकार की तरफ से मदद भी की जाएगी। टूर ऑफ ड्यूटी को ‘अग्निपथ’ का नाम दिए जाने की संभावना है, जबकि सैनिकों को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा। सरकार का मकसद हर साल तीनों सेवाओं में अधिकारी रैंक से नीचे के लिए लगभग 45,000-50,000 ‘अग्निवीरों’ की भर्ती करना है।
खबरों की मानें तो इस मामले पर तीनों सेनाओं के प्रमुख बुधवार (आज) को संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस करेंगे और संभावना है कि इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सैन्य सुधार से जुड़ी महत्वाकांक्षी योजना ‘टूर ऑफ डयूटी’ को तीनों सेनाओं में लागू करने की घोषणा की जाएगी।
टूर ऑफ ड्यूटी/अग्निपथ योजना के तहत तीन सेवाओं – थल सेना, नौसेना और वायु सेना में भर्ती की नई प्रणाली में कुछ आमूल-चूल परिवर्तन प्रस्तावित किए गए हैं। जिसके तहत भर्ती किए गए सैनिकों में से 100 प्रतिशत चार साल बाद सेवा से मुक्त किए जाएंगे और फिर 25 प्रतिशत को पूर्ण सेवा के लिए पुनः सूचीबद्ध किया जाएगा।
ख़बरों के मुताबिक यह बाद में तय किया जाएगा कि इनमें से कितनों को परमानेंट किया जाना है। कौन परमानेंट होगा इसके लिए सिलेक्शन बोर्ड बनाया जाएगा, जो सैनिकों की प्रफेशनल दक्षता के आधार पर उनका चयन करेगा। जिस तरह ऑफिसर रैंक में काबिलियत के हिसाब से आगे बढ़ते हैं उसी तरह सैनिक भी अपनी योग्यता के हिसाब से परमानेंट होंगे।
खबर है कि नई योजना के तहत शुरुआती वेतन 30,000 रुपये होगा, जो चौथे साल के अंत तक बढ़कर 40,000 रुपये हो जाएगा। हालांकि, सेवा निधि योजना के तहत, वेतन का 30 फीसदी हिस्सा सेविंग के रूप में रख लिया जाएगा। सरकार द्वारा इतनी ही राशि का हर महीने योगदान भी दिया जाएगा। वहीं, 10 लाख रुपये से लेकर 12 लाख रुपये के बीच की कुल राशि सैनिक को चार साल के अंत में दी जाएगी। सैनिकों को मिलने वाला ये पैसा पूरी तरह से टैक्स फ्री होगा। सूत्रों ने कहा कि ट्रेनिंग और कार्यकाल के दौरान हासिल किए गए कौशल के आधार पर, सैनिकों को या तो एक डिप्लोमा या क्रेडिट से सम्मानित किए जाने की संभावना है. इसका इस्तेमाल आगे की शिक्षा के लिए किया जा सकता है।
सैनिकों के रिक्रूटमेंट का तरीका अभी वही रहेगा जो अब तक रहा है। बाद में धीरे धीरे इसमें बदलाव करने की भी योजना है। बाद में रिक्रूटमेंट के लिए पैटर्न चेंज कर लिखित परीक्षा पहले और फिजिकल टेस्ट बाद में किया जा सकता है। जो युवा टूर ऑफ ड्यूटी के तहत आएंगे, उनकी छह महीने की बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग होगी। अमूमन 18 साल में युवा सेना में आएंगे और चार साल बाद बाहर निकलेंगे तो उनकी उम्र 21-22 साल की होगी। सेना से निकलकर ये युवा दूसरा रोजगार कर सकें इसलिए चार साल की सर्विस के दौरान ही इन्हें प्रफेशनल डिग्री और डिप्लोमा कोर्स भी कराए जाएंगे।
इस कदम से सशस्त्र बलों से जुड़े कई मुद्दों को हल करने की संभावना है। साथ ही सेना, नौसेना और वायुसेना में शामिल होने की इच्छा रखने वाले लाखों युवाओं को राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। पिछले दो सालों में तीनों सेनाओं के लिए सैनिकों की लगभग कोई भर्ती नहीं हुई है। 28 मार्च को संसद में रक्षा मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, सेना में अन्य रैंक के जूनियर कमीशंड अधिकारियों के लिए एक लाख से अधिक पद खाली हैं।

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