उत्तराखंड की पारंपरिक ‘ऐपण’ कला से तैयार विशेष शुभवस्त्रम् श्री रामलला को अर्पित, राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को मिला नया सम्मान

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उत्तराखंड सरकार ने कुमाऊं क्षेत्र की पारंपरिक कला ‘ऐपण’ के माध्यम से एक विशेष शुभवस्त्रम् तैयार किया है, जिसे अयोध्या में श्री रामलला के दिव्य विग्रह पर चढ़ाया गया। यह वस्त्र उत्तराखंड के मलबरी सिल्क से निर्मित है और इसमें समृद्ध कलात्मकता और सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत मिश्रण है।

चित्र साभार – सोशल मीडिया

ऐपन कला, जो विशेष रूप से कुमाऊं क्षेत्र की एक प्राचीन और पारंपरिक कला है, इसमें मिट्टी के रंगों और प्राकृतिक सामग्री का उपयोग किया जाता है। यह कला न केवल सजावटी है, बल्कि यह उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा और धार्मिक आस्था का भी प्रतीक है। ‘काम कोटि छबि स्याम सरीरा। नील कंज बारिद गंभीरा।’ जैसे श्लोकों के माध्यम से इस कला में भगवान राम की सुंदरता और दिव्यता को व्यक्त किया गया है।

अयोध्या में श्री रामलला का विग्रह हमेशा से भक्तों की आस्था का केंद्र रहा है। इस शुभवस्त्रम् के माध्यम से उत्तराखंड के निवासियों ने प्रभु श्री राम के प्रति अपनी असीम श्रद्धा और आस्था को प्रकट किया है। इस वस्त्र की विशेषता यह है कि यह न केवल एक धार्मिक प्रतीक है, बल्कि यह उत्तराखंड की सांस्कृतिक समृद्धि का भी प्रतीक है।

चित साभार – सोशल मीडिया

उत्तराखंड सरकार और स्थानीय कलाकारों द्वारा इस विशेष वस्त्र का निर्माण करना सभी उत्तराखंडियों के लिए एक गर्व का क्षण है। यह वस्त्र न केवल देवभूमि की कला को बढ़ावा देगा, बल्कि राज्य की संस्कृति को भी विश्व स्तर पर प्रस्तुत करने का एक सशक्त माध्यम बनेगा।  इस शुभवस्त्रम् के माध्यम से उत्तराखंड की ऐपण कला को मान्यता और पहचान मिली है, जो न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को भी समृद्ध करता है। इस विशेष अवसर पर हम सभी उत्तराखंड वासियों को इस उपलब्धि पर गर्व होना चाहिए, और यह निश्चित रूप से हमारे राज्य की कला और संस्कृति को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा।


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