हर साल 9 सितंबर को हिमालय दिवस मनाया जाता है, इस दिन को हिमालयी पारिस्थितिकी और क्षेत्र के संरक्षण के लिए मनाया जाता है। प्रदेश भर में कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसी क्रम में आज मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित कार्यक्रम में के दौरान सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हिमालय संरक्षण के लिए स्पेशल कमेटी गठित करने की बात कही। कार्यक्रम के दौरान सीएम ने हिमालय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए हिमालय के संरक्षण और संवर्धन के लिए काम कर रहे लोगों का आभार जताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय के सरोकारों से जुड़े विषयों के लिए महानिदेशक यूकॉस्ट श्री दुर्गेश पंत के संयोजन में एक कमेटी बनाई जायेगी। इस अवसर पर उन्होंने यूकॉस्ट द्वारा आयोजित की जाने वाली राज्य स्तरीय पांचवें देहरादून, अन्तरराष्ट्रीय साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी फैस्टिवल के पोस्टर का विमोचन किया। यह महोत्सव 06 जनपदों देहरादून, चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी, बागेश्वर और पिथौरागढ स्थित इंजिनियरिंग कॉलेजों में किया जाएगा। इस महोत्सव के माध्यम से पूरे प्रदेश के स्कूल और कॉलेजों के छात्रों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में हो रहे नवाचारों से रूबरू कराया जायेगा। पूरे प्रदेश के 06 जिलों में देहरादून अंतरराष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महोत्सव के दौरान विज्ञान और प्रौद्योगिकी की विभिन्न विधाओं में 50 से अधिक कॉन्क्लेव, कांफ्रेंस, वर्कशॉप, टॉक, एक्जीबिशन आयोजित की जाएँगी। इस महोत्सव में भारत सरकार एवं उत्तराखंड सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़े सभी महत्वपूर्ण संस्थान शामिल होंगे। इस वर्ष महोत्सव की टीम “लाइटनिंग यंग माइंड टू इन्नोवेट” रखा गया है। इस महोत्सव का तीन दिवसीय समापन समारोह उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में सम्पन्न होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में हर वर्ष दो सितम्बर को बुग्याल संरक्षण दिवस मनाया जाएगा। कहा कि जलवायु परिवर्तन तेजी से हो रहा है। देहरादून में भी इस वर्ष तापमान में काफी वृद्धि हुई। अगर तापमान इसी गति से बढ़ता रहा तो आने वाले समय के लिए चिंताजनक है। हमें हिमालय, जल और जंगल के संरक्षण की दिशा में मिलकर प्रयास करने हैं, सोचना होगा कि अपनी आने वाली पीढ़ी को विरासत में क्या देकर जा रहे हैं।
गौर हो कि हिमालय दिवस की शुरुआत 2014 में उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने की थी। पर्यावरणविद अनिल जोशी के साथ ही अन्य भारतीय पर्यावरणविदों ने इस विचार को विकसित किया था। सभी हिमालयी राज्यों के लोगों को उनके साझा पर्यावरण के लिए एक मंच पर लाने के प्रयास के लिए इसकी शुरुआत हुई, जिसके बाद से ये अनवरत जारी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय के महत्व को हमें नई तरह से समझने की जरूरत है। जल स्रोतों और नदियों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में सरकार द्वारा निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। इसके लिए स्प्रिंग एण्ड रिवर रिज्यूवनेशन अथॉरिटी का गठन किया गया है। हिमालय के संरक्षण के लिए अनेक कार्य किये जा सकते हैं।
हिमालय हमारी अमूल्य धरोहर है, जिसे बचाने की आवश्यकता है। उत्तराखंड पहला राज्य है जहाँ जी.ई.पी की शुरुआत की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में इकोलॉजी व इकॉनमी में संतुलन बनाकर विकास के कार्य किये जा रहे हैं। सरकार पौधरोपण, जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रही है, लेकिन इन सब में जनसहभागिता की जरूरत है, तभी हम इन प्रयासों में सफल हो पाएंगे।
हिमालय न केवल भारत बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा के रूप में कार्य करता है। यह पर्वत श्रृंखला भारत की प्रमुख नदियों-गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र – का जन्मस्थान है, जो लाखों लोगों के जीवन के लिए आवश्यक हैं।