चुनाव के वक्त आने वाली चुनौतियों से मुकाबला करने के लिए कैसी रणनीति अपनायी जाती है इसका एक जीता जागता उदाहरण बीजेपी की तैयारियों को देख कर लगाया जा सकता है। केंद्रीय मंत्रियों के लगातार दौरे और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों का आवागमन बढ़ जाना, वहीँ हाल ही में हुआ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का दौरा और अब प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की पिथोरागढ़ आने की तैयारी। कहीं न कहीं यह भाजपा के केंद्रीय स्तर की सोच की दूरदर्शिता की कामयाबी पर एक मोहर ही है। जिसका एक स्पष्ट सन्देश यह भी है कि 2024 के लोकसभा का मोर्चा भाजपा गंभीरता से लड़ने का मन बना चुकी है वहीं कांग्रेस अभी पार्टी को एक जुट करने में जुटी नज़र आती है।
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के उत्तराखण्ड आगमन के दृष्टिगत पिथौरागढ़ दौरे पर जाने से पूर्व ANI से विशेष वार्ता.. pic.twitter.com/WxapXfQv7J
— Pushkar Singh Dhami (Modi Ka Parivar) (@pushkardhami) October 10, 2023
भाजपा समय रहते आने वाले लोकसभा चुनाव की आहट भांप कर सचेत हो गयी है उसने अपनी तैयारियों को अंजाम पर पहुंचाने का काम भी शुरू कर दिया है। भाजपा के नीचे से लेकर ऊपर तक हर ख़ास-ओ-आम भाजपाई अपने अपने दायित्व को संभालने के लिए तैयार बैठा है। हाल ही में पार्टी के बचे हुए मुख्य कार्यकर्ताओं में से 10 दायित्व धारियों के नाम की घोषणा होना हो, या फिर इन्वेस्टर समिट कर देशी विदेशी निवेश लाने जैसे बड़े आयोजनों का कार्य हो या फिर एक के बाद एक बड़े नेताओं का उत्तराखंड में किसी न किसी कारण दौरा उनकी रणनीति की प्रशंसा तो की ही जानी चाहिए। युवाओं की नब्ज पहचानने में माहिर “युवा मुख्यमंत्री” पुष्कर सिंह धामी के द्वारा लिए गए सीधे और सपाट फैसले जनमानस में एक स्पस्ट छाप छोड़ने में अभी तक सफल ही दिखाई दिए हैं।
वहीं कांग्रेस की स्थिति इसके उलट ही नजर आती है। हालांकि कुछ छुट-पुट स्तर पर उनकी तैयारी नजर तो आती है और वहां प्रदेश के लोकल स्तर पर बैठकों का दौर भी शुरू किया गया है, परन्तु बड़े चुनाव से पहले बड़े नेताओं की अनुपस्थिति लगभग नगण्य ही है। यदाकदा कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव ने कुछ-एक दौरे जरूर किये हैं जिसका पार्टी को कुछ ख़ास लाभ मिलता नहीं दिखाई दिया, जो की देना चाहिए था। बल्कि उनके दौरों के बाद अगर कहे कि प्रदेश कांग्रेस के भीतर एक वक्त घमासान मचा और प्रदेश प्रभारी बदले जाने के सुर भी उठने लगे थे जिससे किसी तरह से पार पाया गया। याद करें कि वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे प्रीतम सिंह व द्वाराहाट विधायक मदन बिष्ट बाकायदा खुले तौर पर प्रभारी के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। अभी हाल ही में आये बागेश्वर उपचुनाव के रिजल्ट का बेहतर न आना भी उनके मनोबल को गिराने में एक झटका ही साबित हुआ है।