उत्तराखंड के विभिन्न छठ घाटों पर चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। शुक्रवार भोर में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद इस महापर्व का समापन हुआ। हरिद्वार, देहरादून, ऋषिकेश सहित राज्य के तमाम घाटों पर श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर सूर्य देवता की आराधना की। गंगा घाटों पर गूंजते छठी मैया के गीतों और भक्तिमय वातावरण ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया।
देहरादून के कुल 22 घाटों पर खास तैयारियों के साथ इस पर्व को मनाया गया। टपकेश्वर, चंद्रबनी, रायपुर, केशरवाला, और गुल्लरघाटी सहित विभिन्न घाटों पर सैकड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। राज्य के बाजारों में भी व्रत सामग्री की खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ दिखाई दी। बांस के सूप, डाला, दउरा, गन्ना, सिंघाड़ा, नारियल, और ठेकुआ जैसे प्रसाद की खरीदारी में लोग जुटे रहे।
व्रतियों ने बुधवार से 36 घंटे का निर्जला उपवास रखा, जो आज उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हुआ। इस पर्व को लेकर हरिद्वार और देहरादून में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। हर की पैड़ी सहित गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बनती थी। पूर्वांचल से आए लोगों ने विशेष श्रद्धा के साथ गाजे-बाजे और दीपों के प्रकाश के बीच सूर्य देव को अर्घ्य दिया और सुख-समृद्धि की कामना की।
छठ महापर्व के दौरान, चारों ओर छठी मैया और सूर्य देवता के जयकारों की गूंज सुनाई दी। परंपरागत गीत “उग हे सूरज देव, भइल भिनसरवा…” के साथ श्रद्धालुओं ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया। इस महापर्व के समापन के साथ ही अब श्रद्धालु अगले वर्ष के छठ पूजा की प्रतीक्षा कर रहे हैं।