आज देश रक्षा की सौगंध लेकर 288 जांबाज भारतीय सेना में शामिल हो गए। शनिवार को भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में भव्य पासिंग आउट परेड के बाद ये जांबाज भारतीय सेना के अभिन्न अंग बन गए।
सेना की दक्षिण पश्चिमी कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग इन चीफ ले. जनरल अमरदीप सिंह भिंडर बतौर रिव्यूइंग आफिसर परेड की सलामी ली। पासिंग आउट परेड के बाद 377 जेंटलमैन कैडेट देश-विदेश की सेना की हिस्सा बन गए। इनमें 288 युवा सैन्य अधिकारी भारतीय थलसेना को मिले। जबकि 89 युवा सैन्य अधिकारी आठ मित्र देशों अफगानिस्तान, भूटान, किर्गिस्तान, मालदीव, नेपाल, श्रीलंका, तजाकिस्तान व तंजानिया की सेना का हिस्सा बने।
शनिवार सुबह 6 बजकर 40 मिनट पर मार्कर्स काल के साथ परेड शुरू हुई। कंपनी सार्जेंट मेजर विवेक कुमार, प्रणव, आर्यन सिंह, हिमांशु कुमार, जयेंद्र सिंह व अनिकेत ने ड्रिल स्क्वायर पर अपनी-अपनी जगह ली। 6 बजकर 45 मिनट पर एडवांस काल के साथ ही छाती ताने देश के भावी कर्णधार कदम बढ़ाते हुए परेड के लिए पहुंचे। निरीक्षण अधिकारी दक्षिण पश्चिमी कमान के कमांडर (जनरल आफिसर कमांडिंग-इन-चीफ) लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह भिंडर परेड स्थल पर पहुंचे और परेड का निरीक्षण किया।
समस्तीपुर (बिहार) के मौसम वत्स को स्वार्ड ऑफ ऑनर से नवाजा गया, जबकि ऊधमसिंहनगर उत्तराखंड के नीरज सिंह पपोला को स्वर्ण, मौसम वत्स को रजत व मंडी हिमाचल प्रदेश के केतन पटियाल को कांस्य पदक मिला। दक्षिण दिल्ली के दिगांत गर्ग ने सिल्वर मेडल (टीजी) हासिल किया। भूटान के तेनजिन नामगे सर्वश्रेष्ठ विदेशी कैडेट चुने गए।
इसके साथ ही सैन्य अकादमी के नाम देश-विदेश की सेना को 64 हजार 145 युवा सैन्य अधिकारी देने का गौरव जुड़ गया। इनमें मित्र देशों को मिले 2813 सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं।
आठ मित्र देशों के 89 जेंटलमैन कैडेट इस बार अकादमी से पास आउट हुए हैं। इनमे अफगानिस्तान के 43 कैडेट भी शामिल हैं। पास आउट होने के बाद सात मित्र देशों के कैडेट पास आउट होने के बाद भले ही अपने-अपने देश की सेना की मुख्यधारा में शामिल हो गए हों पर अफगानिस्तान के कैडेटों के सामने असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद पास आउट कैडेट का भविष्य क्या होगा, यह सोचनीय विषय बना हुआ है। सैन्य अकादमी से पास आउट होने के बाद अफगानिस्तान के ये युवा कहां जाएंगे, इसकी कोई जानकारी नहीं है। बताया जा रहा है कि विदेश मंत्रालय ही इस बावत निर्णय लेगा। क्योंकि तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद अफगान राष्ट्रीय सेना का अस्तित्व समाप्त हो गया है और अफगानिस्तान में तालिबानी सत्ता के बाद कोई भी अफगान कैडेट सैन्य प्रशिक्षण के लिए आइएमए नहीं आया। इस लिहाज से मौजूदा परिपेक्ष्य में आइएमए से पास आउट होने वाला अफगान कैडेटों का यह अंतिम बैच है।