अपना 42वां स्थापना दिवस मना रही भारतीय जनता पार्टी आज देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। 42 साल बाद पार्टी केंद्र के अलावा 20 से अधिक राज्यों में सत्ता में है। पिछले आठ साल में नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी ने पार्टी को शिखर पर पहुँचा दिया है। बीजेपी पार्टी गर्व से दावा करती है कि सदस्यता के हिसाब से यह विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। अगर कहा जाए की बीजेपी आज सबसे बड़ी और सबसे प्रभावशाली राजनीतिक पार्टी है तो किसी को भी यह मानने में मुश्किल नहीं होगी।
वाजपेयी ने कहा था कि एक दिन ऐसा आएगा जब बीजेपी पर हंसने वालों पर दुनिया हंसेगी। वाजपेयी की यह भविष्यवाणी सच साबित हुई। बता दें की 1980 में स्थापना के बाद जब 1984 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को केवल दो सीटें मिली थीं तो विपक्षियों ने इसका मजाक उड़ाया था।
“अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा” भारतीय जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी ने आज ही के दिन, 1980 में यानी 42 साल पहले, पार्टी की स्थापना के समय ये बात कही थी। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि आने वाले दिनों में वाजपेयी की बातें सही साबित होंगी। 2014 और 2019 में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई बीजेपी का सफर उतार-चढ़ावों से भरा रहा है।
साल 1977 में केंद्र में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ था। इसमें चार प्रमुख दलों की अहम भूमिका थी। जनसंघ, सोशलिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- समाजवादी, भारतीय लोकदल और कांग्रेस ओ को साथ लाकर जयप्रकाश नारायण ने जनता पार्टी की सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाई थी, लेकिन यह सरकार ढाई साल ही चल पाई। जनसंघ और आरएसएस की दोहरी सदस्यता के मुद्दे पर जनता पार्टी बिखर गई। 4 अप्रैल, 1980 को जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक इसी मुद्दे पर बुलाई गई और जनसंघके लोगों को जनता पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया।
इसके अगले दिन यानी 5 अप्रैल को आनन-फानन में जनसंघ के साढ़े तीन हजार प्रतिनिधियों का राष्ट्रीय सम्मेलन दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में आयोजित किया गया। छह अप्रैल को बीजेपी का जन्म हुआ और अटल बिहारी वाजपेयी इसके पहले अध्यक्ष बने। इसके करीब आठ महीने बाद 28 दिसंबर, 1980 को मुंबई (तब बंबई) में बीजेपी का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ। स्थापना के पहले आठ महीनों में ही पार्टी के सदस्यों की संख्या 25 लाख से ऊपर हो चुकी थी।
देखा जाए तो बीजेपी का यह सफ़र इतना आसान कभी नहीं रहा। गठबंधन सरकार बनाने से पहले आडवाणी की बढ़ती लोकप्रियता ने पार्टी में एक नयी जान फूंकी। आडवाणी अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर बनाने के लिए एक देशव्यापी अभियान का चेहरा बन गए। कट्टर हिंदुत्व की राजनीति ने 1989 के आम चुनावों में भरपूर चुनावी लाभ दिया जब बीजेपी ने 85 लोकसभा सीटें जीतीं. इसके बाद 1991 के आम चुनावों में, इसने अपनी ताकत बढ़ाकर 120 कर दी।
इसके बाद बीजेपी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा 1996 के आम चुनावों में, लोकसभा में भाजपा की सीटें 161 हो गई और इसने सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सरकार बनाने का दावा पेश किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया. इस प्रकार, वाजपेयी के नेतृत्व में पहली बार भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार बनी, लेकिन यह केवल 13 दिनों तक चली क्योंकि यह अन्य गैर-कांग्रेसी, गैर-वामपंथी राजनीतिक दलों के बहुमत को हासिल करने में नाकाम रह गयी थी जिस कारण
अटल बिहारी बाजपेयी ने संसद में विश्वास मत का सामना करने के बजाय इस्तीफ़ा दे दिया था।
1998 में हुए आम चुनावों में, बीजेपी ने लोकसभा में 182 सीटें प्राप्त कीं और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) नामक एक गठबंधन सरकार बनाई, जो 19 मार्च 1998 से 17 अप्रैल 1999 तक 13 महीने तक चली, जब वह एक अविश्वास प्रस्ताव एक वोट से हार गई। 1999 में वे दूसरी बार पीएम बने और पांच साल सरकार चलाई। यहां से शुरू हुआ बीजेपी का विजय रथ अब कांग्रेस मुक्त भारत के रास्ते पर आगे चल पड़ा है।
इसके बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने बीजेपी को अगले 10 सालों तक सत्ता से बाहर रखा। फिर 2014 में मोदी के नेतृत्व में सत्ता में इसकी शानदार वापसी हुई और 282 सीटों के साथ पहली बार पार्टी ने पूर्ण बहुमत हासिल किया। 2019 के इसकी सीटों की संख्या बढ़कर 303 हो गयी।