देहरादून, 3 मई 2025/ उत्तराखंड सरकार ने राज्य की सांस्कृतिक पहचान और जनसंख्या संतुलन को बनाए रखने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए संशोधित भूमि कानून को लागू कर दिया है। अब राज्य के 11 पर्वतीय जिलों में बाहरी व्यक्ति कृषि या बागवानी भूमि नहीं खरीद पाएंगे। यह कानून राज्यपाल की मंजूरी के बाद विधिवत रूप से प्रभाव में आ गया है।
किन जिलों में लगेगी रोक?
नई व्यवस्था के तहत हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर को छोड़कर राज्य के बाकी सभी 11 पर्वतीय जिलों में बाहरी लोगों के लिए कृषि भूमि और बागवानी भूमि की खरीद पर रोक लगा दी गई है।
हालांकि, नगर निकाय सीमाओं से बाहर 250 वर्ग मीटर तक की भूमि खरीदने की सशर्त छूट दी गई है।
जमीन खरीदने से पहले शपथ पत्र अनिवार्य
अब किसी भी जमीन की रजिस्ट्री के समय खरीदार को एक शपथ पत्र देना होगा कि वह कानून का उल्लंघन नहीं करेगा।
यदि नियम तोड़े जाते हैं तो जमीन जब्त करने का प्रावधान लागू होगा।
निवेश को प्रोत्साहन, लेकिन सख्त शर्तों के साथ
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि
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हॉस्पिटल, स्कूल, कॉलेज, इंडस्ट्री, होटल जैसे व्यावसायिक कार्यों के लिए भूमि खरीदी जा सकती है,
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लेकिन इसके लिए कई सरकारी मंजूरियाँ और शर्तें अनिवार्य होंगी।
2003 से पहले जमीन रखने वालों को कुछ मामलों में पुराने कानूनों के तहत राहत मिल सकती है।
30 वर्षों की लीज पर मिलेगी भूमि
सरकार ने लैंड लीज पॉलिसी को बढ़ावा देते हुए बताया है कि कुछ विशेष कार्यों के लिए भूमि 30 वर्ष की लीज पर उपलब्ध कराई जाएगी। इसमें शामिल हैं:
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हर्बल और औषधीय पौधों की खेती
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जैविक कृषि
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डेयरी व पोल्ट्री
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मधुमक्खी पालन
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मत्स्य पालन
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कृषि आधारित उद्योग
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चाय बागान
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नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना
जनसंख्या संतुलन और सांस्कृतिक सुरक्षा पर जोर
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “यह कानून उत्तराखंड को जनसांख्यिकीय असंतुलन से बचाएगा और राज्य की सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित रखेगा। यह राज्य के सुरक्षा, संतुलन और भविष्य के लिए बेहद जरूरी है।”
विधानसभा में पारित हुए अन्य अहम बिल
भूमि कानून के साथ-साथ विधानसभा में सात अन्य महत्वपूर्ण विधेयक भी पारित हुए, जिनमें शामिल हैं:
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शहरी एवं ग्रामीण नियोजन विधेयक
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खिलाड़ियों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण
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निजी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक
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जीएसटी संशोधन
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दिव्यांग कोटा कानून
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पुराने अधिनियमों की समाप्ति विधेयक
स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी विधेयक को अभी राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिली है और यह लंबित है।
उत्तराखंड सरकार का यह फैसला राज्य की भौगोलिक, पर्यावरण और सांस्कृतिक संरक्षण की दिशा में एक सख्त लेकिन दूरदर्शी कदम माना जा रहा है। अब बाहरी लोगों को भूमि खरीदने के लिए लीज मॉडल और सरकारी मंजूरियों के सख्त मानकों को पार करना होगा।