मंकीपॉक्स का खतरा बढ़ रहा है। विदेश यात्रा से लौटने के बाद एमपॉक्स के लक्षण दिखने पर बुधवार को एक संदिग्ध मंकीपॉक्स मरीज को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया। व्यक्ति को मंकीपॉक्स के अन्य लक्षणों के साथ हल्का बुखार और सिरदर्द भी था। हालांकि एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि मरीज में मंकीपॉक्स के संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है। फिलहाल उसे भर्ती करके डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। गौर हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) घोषित किया गया था।
मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे के बीच दिल्ली एम्स में विदेश यात्रा से लौटे एक संदिग्ध मंकीपॉक्स मरीज को भर्ती किया गया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि व्यक्ति को मंकीपॉक्स के अन्य लक्षणों के साथ हल्का बुखार और सिरदर्द भी था। मरीज को एम्स के एबी-7 वार्ड में रखा गया है, जो संदिग्ध एमपॉक्स मरीजों के लिए विशेष रूप से बनाया गया वार्ड है। वार्ड में डॉक्टरों ने उसकी मंकीपॉक्स की जांच की और रिपोर्ट नेगेटिव आई। हालांकि, मरीज अभी भी डॉक्टरों की निगरानी में है, फिलहाल एम्स में मंकीपॉक्स का कोई पुष्ट मामला नहीं है।
मंकीपॉक्स के फैलने के खतरे को देखते हुए सरकार ने सभी संसाधनों को अलर्ट मोड पर रखा है। मंकीपॉक्स के मरीजों के इलाज के लिए दिल्ली के तीन अस्पतालों राम मनोहर लोहिया अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल और लेडी हार्डिंग अस्पताल में बेड की व्यवस्था की गई है। वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी हवाई अड्डों के साथ-साथ बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमाओं के पास स्थित भूमि बंदरगाहों के अधिकारियों को ‘मंकीपॉक्स’ के चलते अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के प्रति सतर्क रहने को कहा है और मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर उन्हें तुरंत प्रभाव से आइसोलेट करने के निर्देश दिए गए हैं।
आपको बता दें कि मंकीपॉक्स वायरस पशुओं से मनुष्य में और मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है। मंकीपॉक्स चेचक जैसी बीमारी है। बुखार, सिर दर्द, चकत्ते, मांसपेशियों में दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते, फफोले, खुजली, त्वचा पर जख्म और शरीर में जगह-जगह गांठ बन जाती हैं। यह वायरस कटी-फटी त्वचा, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट या म्यूकस मेम्ब्रेन (आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है. संक्रमित पशु या वन्य पशु से मानव में वायरस का संचरण काटने, खरोंचने, शरीर के तरल पदार्थ एवं घाव से सीधे अथवा अप्रत्यक्ष संपर्क (जैसे दूषित बिस्तर) के माध्यम से हो सकता है। डॉक्टर्स के अनुसार, मंकीपॉक्स का इनक्यूबेशन पीरियड आमतौर पर सात से 14 दिनों का होता है, लेकिन यह पांच से 21 दिनों तक हो सकता है और इस अवधि के दौरान व्यक्ति आमतौर पर संक्रामक नहीं होता है। संक्रमित व्यक्ति के चकत्ते दिखने से एक से दो दिन पहले तक रोग फैला सकता है। सभी चकत्तों से जब तक पपड़ी गिर न जाए रोगी तब तक संक्रामक बना रह सकता है।
मंकीपॉक्स का सामान्यतः 2-4 सप्ताह का संक्रमण होता है और रोगी आमतौर पर सामान्य इलाज से ठीक हो जाते हैं। संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक निकट संपर्क से और आमतौर पर यौन संपर्क, शरीर, घाव के तरल पदार्थ के साथ सीधे संपर्क या संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़े, चादर का इस्तेमाल करने से होता है। डब्ल्यूएचओ ने इससे पूर्व जुलाई 2022 में मंकीपॉक्स को पीएचईआईसी घोषित किया था और बाद में मई 2023 में इसे रद्द कर दिया था। 2022 से वैश्विक स्तर पर डब्ल्यूएचओ ने 116 देशों से मंकीपॉक्स के कारण 99,176 मामले और 208 लोगों की मृत्यु की सूचना दी है।
इस बीमारी की चपेट में आने से बचने के लिए हमें मुख्यतः बंदरों और अन्य जानवरों के संपर्क में आने से बचना, घरों में सफाई को लेकर सतर्क रहना चाहिए और लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सकों की सलाह लेनी चाहिए।