उत्तराखंड में जलविद्युत परियोजनाओं को मिलेगी रफ्तार: मुख्यमंत्री धामी ने केंद्र से वन भूमि हस्तांतरण और पर्यावरण स्वीकृति के लिए मांगा सहयोग

Hydroelectric projects will gain momentum in Uttarakhand: Chief Minister Dhami sought cooperation from the Center for forest land transfer and environmental clearance
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नई दिल्ली/देहरादून:
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को नई दिल्ली में केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से मुलाकात कर राज्य में जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण को गति देने के लिए आवश्यक स्वीकृतियां शीघ्र प्रदान करने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने खास तौर पर दो प्रमुख परियोजनाओं—त्यूनी-प्लासू जल विद्युत परियोजना और सिरकारी भ्योल रुपसियाबगड जल विद्युत परियोजना—के लिए वन भूमि हस्तांतरण और पर्यावरणीय मंजूरी की मांग रखी।

मुख्यमंत्री धामी ने केंद्रीय मंत्री को अवगत कराया कि उत्तराखंड की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राज्य को अन्य राज्यों और केंद्र सरकार के विद्युत पूल से बिजली खरीदनी पड़ती है, जिससे आर्थिक भार बढ़ता है। उन्होंने कहा कि राज्य में पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखते हुए नई जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण किया जाना आवश्यक है, जिससे न केवल ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि रोजगार के अवसर सृजित होंगे और क्षेत्रीय विकास को भी गति मिलेगी। इसके साथ ही राज्य में लंबे समय से चली आ रही पलायन की समस्या पर भी अंकुश लग सकेगा।

त्यूनी-प्लासू परियोजना की मांग
मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से यमुना नदी की सहायक टौंस नदी पर प्रस्तावित 72 मेगावाट की त्यूनी-प्लासू जल विद्युत परियोजना का ज़िक्र करते हुए बताया कि इसके निर्माण के लिए 47.547 हेक्टेयर वन भूमि एवं बंजर राजस्व भूमि की आवश्यकता है। उन्होंने अनुरोध किया कि इस परियोजना के लिए शीघ्र वन भूमि हस्तांतरण की स्वीकृति प्रदान की जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि गंगा नदी पर प्रस्तावित जल परियोजनाओं को स्वीकृति नहीं मिलने के कारण अब यमुना एवं कुमाऊं क्षेत्र की नदियों—जैसे गौरीगंगा और धौलीगंगा—पर जल विद्युत परियोजनाओं का विकास जरूरी हो गया है।

रुपसियाबगड परियोजना और सामरिक दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री ने गौरीगंगा नदी पर प्रस्तावित सिरकारी भ्योल रुपसियाबगड जल विद्युत परियोजना की भी चर्चा की, जो 120 मेगावाट क्षमता की है और उत्तराखंड में इस नदी पर पहली परियोजना है। उन्होंने इसके लिए पर्यावरणीय स्वीकृति और 29.997 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरण की शीघ्र स्वीकृति का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं का निर्माण न केवल राज्य हित में है, बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, विशेषकर सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास और सुरक्षा के लिए।

धार्मिक पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर ऋषिकेश स्थित त्रिवेणी घाट से नीलकंठ महादेव मंदिर तक प्रस्तावित रोपवे परियोजना को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में स्वीकृति प्रदान करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यह परियोजना क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने, यातायात के बोझ को कम करने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में सहायक सिद्ध होगी।

बीटल्स आश्रम का पुनरुद्धार और वनाग्नि प्रबंधन
मुख्यमंत्री ने चौरासी कुटिया (बीटल्स आश्रम) के पुनरुद्धार के लिए केंद्र सरकार से सहयोग की मांग की। उन्होंने बताया कि यह स्थल योग एवं आध्यात्मिक पर्यटन के लिए वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण है और इसके पुनरुद्धार से ऋषिकेश को एक अंतरराष्ट्रीय योग हब के रूप में पहचान मिलेगी।

वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कैम्पा योजना के अंतर्गत उत्तराखंड के लिए 404 करोड़ रुपये की विशेष सहायता की मांग भी रखी। उन्होंने बताया कि इस राशि से पंचवर्षीय वनाग्नि प्रबंधन योजना के तहत प्रभावी कार्रवाई की जा सकेगी।

केंद्रीय मंत्री ने दिया आश्वासन
केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने मुख्यमंत्री धामी को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार के सभी प्रस्तावों पर सकारात्मक विचार किया जाएगा और हरसंभव सहयोग प्रदान किया जाएगा।

इस महत्वपूर्ण बैठक में मुख्यमंत्री के साथ प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम और स्थानिक आयुक्त अजय मिश्रा भी उपस्थित थे।


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