उत्तराखंड की प्रगति पर चर्चा—
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि राज्य ने न्याय प्रक्रिया में तकनीकी सुधारों को सफलतापूर्वक अपनाया है। ई-साक्ष्य, ई-कोर्ट और ई-समन जैसे तकनीकी एकीकरण से न्याय प्रणाली तेज, पारदर्शी और प्रभावी हुई है।
मेडलीप्र (MedLEaPR) के माध्यम से चिकित्सा और कानूनी प्रक्रियाओं के बीच तालमेल स्थापित कर मुकदमों के शीघ्र निपटान में सफलता पाई गई है। रिपोर्ट के अनुसार, 41% मामलों का निस्तारण और दोषसिद्धि दर में सुधार, राज्य की मजबूत न्याय प्रणाली को दर्शाता है।
प्रशिक्षण और जागरूकता पर जोर—
कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए 23,000 से अधिक पुलिस कर्मियों और अभियोजकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया। उत्तराखंड ने हिंदी भाषा में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित पाठ्यक्रम विकसित करने की पहल की, जो देश में अपनी तरह की पहली है।
नए कानूनों को लेकर जन जागरूकता बढ़ाने के लिए नुक्कड़ नाटक, चौपाल और सेमिनार जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए। सामाजिक सहभागिता से जनता को न्याय प्रणाली से जोड़ने का प्रयास किया गया।
केंद्र सरकार का सहयोग और सुझाव—
केंद्रीय गृह मंत्री ने राज्य सरकार को तकनीकी सुधारों से हुई लागत में बचत का मूल्यांकन करने का निर्देश दिया। उन्होंने न्याय प्रक्रिया को और अधिक सुलभ बनाने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) सुविधाओं की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बैठक में तीन नए कानूनों के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास में केंद्र सरकार से सहयोग मांगा। गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य को हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया।
बैठक में मौजूद अधिकारी—
बैठक में भारत सरकार के गृह सचिव, उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव (कानून), पुलिस महानिदेशक, और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
तीन नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन में उत्तराखंड की प्रगति ने न्याय प्रणाली को अधिक आधुनिक और प्रभावी बनाने में सफलता हासिल की है। केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा राज्य के प्रयासों की सराहना और सहयोग के आश्वासन से यह स्पष्ट है कि उत्तराखंड भविष्य में इन सुधारों को और सुदृढ़ करने की दिशा में अग्रसर रहेगा।