उत्तराखंड के टनकपुर से शुरू हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा, पांच साल बाद फिर से खुले आध्यात्मिक द्वार
टनकपुर (चंपावत)/ पांच साल के लंबे अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर से आरंभ हो गई है। शनिवार सुबह उत्तराखंड के चंपावत जिले के टनकपुर ट्रांजिट कैंप (टीआरसी) से इस पावन यात्रा के पहले जत्थे को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस जत्थे में देश भर से आए 45 श्रद्धालु शामिल हैं।

इससे पूर्व शुक्रवार शाम को मुख्यमंत्री धामी टनकपुर पहुंचे और यात्रियों का आत्मीय स्वागत किया। उन्होंने तीर्थयात्रियों से संवाद करते हुए यात्रा के दौरान दी जाने वाली सुविधाओं और सुरक्षा उपायों पर चर्चा की। सीएम धामी ने श्रद्धालुओं को आश्वस्त किया कि उत्तराखंड सरकार उन्हें सुगम, सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा का अनुभव देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि इस वर्ष से कैलाश मानसरोवर यात्रा को टनकपुर-चंपावत मार्ग से स्थायी रूप से संचालित किया जाएगा। इससे पहले यह यात्रा काठगोदाम के रास्ते संपन्न होती थी। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि यह यात्रा श्रद्धालुओं के लिए न केवल आध्यात्मिक अनुभव हो, बल्कि उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों से भी जुड़ाव स्थापित करे।”

यात्रा के समापन पर श्रद्धालुओं को मानस खंड कॉरिडोर के अंतर्गत कुमाऊं क्षेत्र के प्रमुख तीर्थ स्थलों—पाताल भुवनेश्वर, चौकोड़ी, जागेश्वर धाम और कैंची धाम—के दर्शन कराए जाने की योजना भी बनाई गई है। इस समूची यात्रा के सुचारू संचालन का जिम्मा कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) को सौंपा गया है।
टनकपुर टीआरसी में शुक्रवार रात को यात्रियों के लिए रात्रि विश्राम की व्यवस्था की गई थी। सुबह होते ही भक्ति भाव से ओतप्रोत श्रद्धालु अगले पड़ाव के लिए रवाना हुए। इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने टनकपुर के स्थानीय लोग भी उत्साहपूर्वक तीर्थयात्रियों को विदा करने पहुंचे।
कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू किया जाना उत्तराखंड सरकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। यह न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास और रोजगार के नए द्वार भी खोलेगा।