दरकते जोशीमठ पर पीएमओ की नज़र, बुलाई हाई लेवल मीटिंग, सीएम धामी ने पीएम मोदी को फोन पर बताए हालात

Our News, Your Views

पौराणिक व आध्यात्मिक स्थली और सबसे पुराना ज्योतिर्मठ जोशीमठ भूधंसाव के चलते अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है। यहां लगातार भूधंसाव हो रहा है और दरारें पड़ रहीं हैं। जोशीमठ शहर का धार्मिक और सामरिक महत्व है जो अब खतरे में है। शहर पर मंडराते अस्तित्व के खतरे को देखते हुए स्थानीय लोग आंदोलित हैं। राज्य सरकार एक्शन में है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को जोशीमठ का दौरा किया था। उन्होंने पुनर्वास के लिए पीपलकोटी और गौचर के आसपास जमीन तलाशने के निर्देश भी दिए थे। धामी ने कहा कि जोशीमठ को बचाने के लिए सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इस बीच जोशीमठ पर पीएमओ भी नजर बनाए हुए हैं। जारी भूमि धंसाव के बीच प्रधानमंत्री कार्यालय ने रविवार दोपहर एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई वहीँ प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से जोशीमठ भू-धसांव पर अपडेट लिया। भू-धसांव के कारणों का पता नहीं चला है। कल NDMA टीम पहुंचेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से जोशीमठ भू-धसांव पर अपडेट लिया है। मोदी ने फ़ोन पर मुख्यमंत्री धामी से बात की और कितने लोगों के प्रभावित होने और नुक्सान और विस्थापन आदि की जानकारी ली। वहीँ मोदी ने जोशीमठ को बचाने हेतु हरसंभव मदद का भरोसा दिया। सीएम धामी से बातचीत के पश्चात पीएमओ उच्चस्तरीय बैठक बुलाई गयी। इस हाई-लेवल मीटिंग में पीएमओ के सभी वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। निर्णय लिया गया की सीमा प्रबंधन सचिव और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य कल उत्तराखंड का दौरा करेंगे और जोशीमठ का आंकलन करेंगे।

बता दें कि जोशीमठ के डेढ़ किलोमीटर भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है। भू-धंसाव का अध्ययन करके आई विशेषज्ञ समिति ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है। समिति ने ऐसे भवनों को गिराए जाने की सिफारिश की है, जो पूरी तरह से असुरक्षित हैं। प्रभावित परिवारों के लिए फेब्रिकेटेड घर बनाए जाएंगे।

समिति द्वारा की गयी प्रमुख सिफारिशें —
1-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी को जोशीमठ में रिस रहे पानी की जांच करने का जिम्मा दिया गया है। वह पानी     के मूल स्रोत का पता लगाएगा।
2-जोशीमठ की वहन क्षमता का तकनीकी अध्ययन होगा। आईआईटी रुड़की इसके लिए अपनी टीम अध्ययन के लिए   भेजेगा। टीम पता लगाएगी कि वास्तव में नगर की वहन क्षमता कितनी होनी चाहिए?
3- मिट्टी की पकड़, भूक्षरण को जानने के लिए विस्तृत भू तकनीकी जांच होगी। जरूरत पड़ने पर नींव की रेट्रोफिटिंग   का  भी अध्ययन होगा। यह काम आईआईटी रुड़की करेगा।
4-समिति का मानना है कि जियो फिजिकल स्टडी का नेचर जानना जरूरी है, यह काम वाडिया हिमालय भू विज्ञान   संस्थान को दिया जाएगा।
5- भू-कंपन की रियल टाइम मानीटरिंग होगी। इसके लिए वहां सेंसर लगाए जाएंगे। हिमालय भू विज्ञान संस्थान यह काम   करेगा।
6-असुरक्षित भवनों से शिफ्ट किए गए प्रभावितों के लिए स्थायी शिविर तैयार होंगे। स्थायी शिविर तैयार करने का जिम्मा   सीबीआरआई को दिया जाएगा।

जोशीमठ में तेजी से हो रहे भू-धंसाव के पीछे स्थानीय लोग एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना की टनल निर्माण को जिम्मेदार मान रहे हैं। उनका आरोप है कि टनल की वजह से ही पानी उनके घरों तक पहुंचा है। एनआईएच के वैज्ञानिकों ने इसका अध्ययन भी शुरू कर दिया है। हाइड्रोलॉजी के वैज्ञानिकों ने पानी के नमूने ले लिए हैं। अब वे दोनों जगह के नमूनों के सिग्नेचर का मिलान करेंगे। इससे पता चलेगा कि जोशीमठ में रिसाव का इस टनल से कोई कनेक्शन है या नहीं। रुड़की के राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) के वैज्ञानिक डॉ. गोपाल कृष्ण, ने बीते दो दिन जोशीमठ, टनल और दोनों के बीच दो अन्य रिसावों के सैंपल एकत्र किए। एनएचआई की टीम ने जोशीमठ के मकानों से रिस रहे पानी और टनल के भीतर जाकर वहां के पानी, बाहर बह रहे पानी के अब तक कोई आधा दर्जन सैंपल लिए हैं। एनआईएच के वैज्ञानिक डॉ. गोपाल कृष्ण बताते हैं कि सैंपल का अध्ययन किया जाएगा। इनका पीएफ और आईसोटॉप देखे जाएंगे, जिससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि टनल से बहने वाले पानी और जोशीमठ के मकानों में आ रहे पानी में कोई समानता है या नहीं। उम्मीद है कि टनल की वजह से भू-धसांव के आरोपों में कितनी सच्चाई है इसका एक सप्ताह में पता चल जाएगा। अगर इसमें समानता मिलती है तो निश्चित तौर पर यह तय माना जाएगा कि टनल का पानी वहां तक पहुंच रहा है।

चमोली के जोशीमठ में भूधंसाव के बाद जिला प्रशासन युद्ध स्तर पर राहत और पुनर्वास में जुट गया है। मुख्यमंत्री के सचिव और मंडलायुक्त ने रविवार से जोशीमठ में कैंप शुरू कर दिया है। जिला प्रशासन ने टेक्निकल कमेटी का गठन किया है, जो भूधंसाव से हुए नुकसान का आकलन कर रही है। जहाँ खतरे की जद में आए लोगों को सुरक्षित स्थान पर पुनर्वासित किया जा रहा है तो वहीँ सरकार विज्ञानियों की रिपोर्ट पर आगे की कार्ययोजना बनाने में जुट गई है। जोशीमठ प्रशाशन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार शनिवार तक 603 भवनों में दरार आ चुकी है। 134 गांधीनगर ,28 मारवाड़ी, 24 लोअर बाज़ार, 56 सिंहद्वार, 80 बाग़ , 31 अपर बाज़ार, 38 सुनील, 51 परसारी, 161 रविग्राम में हैं।


Our News, Your Views