विजयदशमी पर हुई घोषणा: 17 नवंबर को बंद होंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट, शीतकालीन प्रवास की तैयारियां शुरू

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उत्तराखंड के चारधामों में से एक, श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए 17 नवंबर 2024 को रात 9 बजकर 7 मिनट पर विधि-विधान के साथ बंद किए जाएंगे। यह घोषणा विजयदशमी के पावन अवसर पर पंचांग गणना के पश्चात मंदिर परिसर में आयोजित एक समारोह में की गई। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि बदरीनाथ धाम में हर वर्ष विजयदशमी पर कपाट बंद होने की तिथि घोषित की जाती है।

बद्रीनाथ धाम में शीतकाल की तैयारियां और देव डोलियों का प्रस्थान—

बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया 13 नवंबर से आरंभ होगी। इस दिन गणेश जी की पूजा होगी और शाम को उनके कपाट बंद कर दिए जाएंगे। इसके बाद 14 नवंबर को आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद होंगे। 16 नवंबर को माता लक्ष्मी जी को कढ़ाई भोग अर्पित किया जाएगा, और उसी दिन खड़क पुस्तक व वेद ऋचाओं का वाचन भी समाप्त होगा। 17 नवंबर की शाम 7 बजे से कपाट बंद होने की अंतिम प्रक्रिया आरंभ होगी, जिसमें रावल जी स्त्री रूप धारण कर माता लक्ष्मी को मंदिर के गर्भगृह में विराजमान करेंगे। इसके बाद उद्धव जी और कुबेर जी को मंदिर के गर्भगृह से बाहर लाया जाएगा और रात 9 बजकर 7 मिनट पर कपाट बंद कर दिए जाएंगे।

मदमहेश्वर और तुंगनाथ के कपाट बंद होने की तिथि—

बद्रीनाथ के साथ ही अन्य धामों के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। मदमहेश्वर के कपाट 20 नवंबर को बंद होंगे, जिसके बाद उनकी डोली 21 नवंबर को रांसी, 22 नवंबर को गिरिया और 23 नवंबर को ऊखीमठ पहुंचेगी। तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट 4 नवंबर को बंद होंगे। श्री तुंगनाथ जी की चलविग्रह डोली 7 नवंबर को मर्केटेश्वर मंदिर मक्कूमठ पहुंचेगी।

 

केदारनाथ और यमुनोत्री के कपाट भी होंगे बंद—

इस वर्ष केदारनाथ धाम के कपाट 3 नवंबर को भैया दूज के दिन सुबह 8:30 बजे बंद किए जाएंगे। उसी दिन भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली रामपुर (निकट फाटा) के लिए प्रस्थान करेगी। यमुनोत्री धाम के कपाट भी भैया दूज के दिन 3 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 3 मिनट पर बंद किए जाएंगे। जबकि गंगोत्री धाम के कपाट अन्नकूट गोवर्धन पूजा के दिन 2 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 4 मिनट पर बंद होंगे।

चारधाम यात्रा का समापन, लाखों श्रद्धालुओं ने किए दर्शन—

इस वर्ष की चारधाम यात्रा 10 मई 2024 को शुरू हुई थी, जिसमें केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट इसी दिन खुले थे जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट 12 मई को खुले थे। यात्रा का यह सत्र 17 नवंबर के बाद समाप्त हो जाएगा। अब तक 38.50 लाख से अधिक श्रद्धालु चारधाम के दर्शन कर चुके हैं, जिसमें 11 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने बदरीनाथ धाम और 13.50 लाख से अधिक ने केदारनाथ धाम का दर्शन किया है।

शीतकालीन प्रवास की तैयारियां—

कपाट बंद होने के पश्चात, श्री उद्धव जी और कुबेर जी योग बदरी पांडुकेश्वर में शीतकालीन प्रवास करेंगे। वहीं, आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी 19 नवंबर को श्री नृसिंह मंदिर, जोशीमठ में विराजमान होगी। इस तरह, बदरीनाथ धाम की शीतकालीन तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी।

पारंपरिक अनुष्ठान और श्रद्धालुओं के सम्मान—

इस दौरान अगले यात्रा वर्ष की तैयारियों के लिए भंडारी, कमदी, और मेहता थोक के हक-हकूकधारियों को सम्मान स्वरूप पगड़ी भेंट की गई। बीकेटीसी ने भविष्य की भंडार व्यवस्था के लिए भी तैयारियां शुरू कर दी हैं, जिससे आने वाले साल में यात्रा और भी सुव्यवस्थित हो सके।

गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट बंद—

गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब और लोकपाल तीर्थ लक्ष्मण मंदिर के कपाट 10 अक्टूबर 2024 को ही बंद हो चुके हैं, जिससे वहां भी शीतकालीन प्रवास की प्रक्रिया आरंभ हो गई है।

बद्रीनाथ धाम और चारधाम यात्रा के दौरान हर साल श्रद्धालुओं की भारी संख्या यहां पहुंचती है और यह स्थान उनके लिए धार्मिक और आध्यात्मिक शांति का केंद्र बना रहता है। इस साल की यात्रा के समापन के साथ ही, भक्त अगले साल की यात्रा के इंतजार में रहेंगे, जब ये पवित्र धाम फिर से उनके लिए अपने कपाट खोलेंगे।


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