उत्तराखंड में एक बार फिर हाईप्रोफाइल सेक्स स्कैंडल की बात सामने आ रही है। नेता और नौकरशाह पर प्रदेश में ‘व्हाइट कॉलर’ का प्रतिनिधित्व करने वाले कई लोगों के दामन पर काली करतूतों के दाग लगते रहे हैं। बहरहाल इस मामले में जितने मुंह उतनी बातें हो रही हैं।
कुल 70 विधानसभा सीटों वाले छोटे से पहाड़ी राज्य उत्तराखंड का ये दुर्भाग्य ही कहा जाए कि मात्र 20 वर्षों का युवा उत्तराखंड राज्य जो अभी अभी यौवन की दहलीज पर कदम रख ही पाया है अपने शैशवकाल से ही इस तरह की चुनातियाँ से लड़ता रहा है। यहां प्राय ही राजनीतिक पार्टियों के नेताओं और अफसरशाही पर तमाम तरह के हत्या, बलात्कार और भरस्टाचार के आरोप लगते रहें हैं।
हाल ही में आये एक ऐसे ही प्रकरण में सत्ताधारी भाजपा के विधायक महेश नेगी पर एक महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाकर प्रदेश की सियासत को गर्मा दिया है। महिला ने देहरादून एसएसपी को 4 पेज का एक शिकायती पत्र सौंपा है जिसमे उसने अपने और विधायक के बीच के रिश्तों का विस्तार से जिक्र किया है
महिला ने अपनी तहरीर में आरोप लगाया है कि विधायक ने वर्ष 2016 से उसके साथ नैनीताल, दिल्ली, मसूरी तथा देहरादून आदि अलग—अलग स्थानों पर कथित तौर पर दुष्कर्म किया। महिला ने दावा किया कि विधायक से उसकी एक बच्ची भी है और उसका डीएनए टेस्ट कर सत्यता का पता लगाया जा सकता है।
महिला ने कहा है कि वह अपनी मां की बीमारी के इलाज के सिलसिले में विधायक से मिली थी। इससे पहले, विधायक की पत्नी रीता नेगी ने भी महिला पर अपने पति को ब्लैकमेल करने का आरोप लगाते हुए नेहरू कॉलोनी पुलिस थाने में एक मुकदमा दर्ज कराया है ।
रीता नेगी ने आरोप लगाया है कि महिला उनके पति को बदनाम कर रही है। विधायक की पत्नी ने अपनी शिकायत में कहा है कि महिला और उसका परिवार उनके पति को ब्लैकमेल कर पांच करोड रुपये मांग रहा है।
इस मामले में प्रदेश के पुलिस महानिदेशक, कानून एवं व्यवस्था, अशोक कुमार ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच शुरू कर दी गयी है।
ब्लैकमेलिंग के आरोप में घिरी महिला ने इस मामले में उत्तराखंड राज्य महिला आयोग को पत्र भेजा है
जिसमे वह खुद को और अपनी बेटी की जान का खतरा बताती हैं। आयोग ने पत्र का संज्ञान लेते हुए महिला और उसकी बेटी की सुरक्षा को लेकर अल्मोड़ा पुलिस को पत्र लिखा है।
वहीँ इस मामले के तूल पकड़ते ही इस पर खुल कर राजनीत राजनितिक बयानबाजी भी जोर पकड़ती दिखाई देने लगी है, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भी मामले को गंभीर बताते हुए आरोप लगाने वाली महिला की बच्ची का डीएनए टेस्ट कराने की मांग की है और कहा है कि इससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
आईये उन सनसनीखेज सेक्स स्कैंडल के बारे में जानते हैं जिसने उत्तराखंड की राजनीति में खलबली मचा दी थी….
1-2003 में उत्तराखंड के राजस्व मंत्री हरक सिंह रावत पर असम की इंदिरा देवरा उर्फ़ जेनी ने उन्हें अपने नवजात बच्चे का पिता बताया था, हालाँकि बाद में यह मामला तब ठंडा हुआ जब बच्चे के पिता के डीएनए टेस्ट में ये साबित हो गया कि बच्चे का पिता हरक सिंह रावत नहीं है।
2-2008 में रोहित शेखर ने नारायण दत्त तिवारी को अपना बायोलॉजिकल पिता बताया। कोर्ट द्वारा डीएनए टेस्ट कराने के बाद 27 जुलाई 2012 को आये डीएनए टेस्ट रिपोर्ट ने तिवारी को शेखर का पिता घोषित किया।
3-2013 में देहरादून से दिल्ली तक पहुंचे हाईप्रोफाइल यौन शोषण प्रकरण में अपर सचिव जेपी जोशी का भी नाम आया था और इस मामले ने भी सुर्खियां बटोरी थी।