“पर उपदेश कुशल बहुतेरे । जे आचरहिं ते नर न घनेरे ।।
तो आपने सुना होगा। वहीँ राजनेताओं के मुख वचन से भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और पारदर्शिता जैसे शब्दों को भी सुना होगा। मगर इसे अमल में लाने की कूवत हमारे राजनेताओं में नहीं। इसका ताज़ा उदाहरण हाल ही मिली सूचना अधिकार के तहत ली गई एक जानकारी से हुआ है।
“जी हाँ” उत्तराखंड में भ्रष्टाचार नियंत्रण व पारदर्शिता पर कितने ही बडे़-बड़े दावे किये जा रहे हों लेकिन हकीकत में इसके लिये बने कानूनों का माननीय ही पालन नहीं कर रहे हैं हैं। उत्तराखंड के 71 विधायकों में से मुख्यमंत्री सहित 44 विधायकों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा विधानसभा को नहीं दिया है। इसका खुलासा सूचना अधिकार के तहत ली गई जानकारी से हुआ।
ख़बर के अनुसार काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने विधानसभा के लोक सूचना अधिकारी से उत्तराखंड के मंत्रियों विधायकों की संपत्ति विवरण संबंधी सूचना मांगी थी। जिसके जवाब में विधानसभा के लोक सूचना अधिकारी/उपसचिव (लेखा) हेम चन्द्र पंत ने अपने पत्रांक 487 दिनांक 22 फरवरी 2022 से संपत्ति विवरण संबंधी सूचना उपलब्ध कराई है।
विगत 22 फरवरी के दी गई सूचना के अनुसार इस बार विधायक बनने के बाद कोई भी सम्पत्ति विवरण न देने वाले विधायकों की सूची में 44 नाम हैं। इनमें सीएम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मंत्री सुबोध उनियाल, अरविन्द पाण्डे, रेखा आर्य, बंशीधर भगत, यतीश्वरानन्द और विशन सिंह चुफाल के साथ ही नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का नाम भी इस सूची में शामिल है।
सूचना के अनुसार पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, राजकुमार, सुरेन्द्र सिंह नेगी, मनोज रावत, विनोद कण्डारी, विजय सिंह पंवार, मुन्ना सिंह चौहान, सहदेव सिंह पुंडीर हरबंस कपूर, आदेश चौहान, सुरेश राठौर, ममता राकेश, देशराज कर्णवाल, फुरकान अहमद, प्रदीप बत्रा, कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन, काजी मो.निजामुद्दीन, संजय गुप्ता, ऋतु खंडूरी भूषण, दलीप सिंह रावत, हरीश सिंह, मीना गंगोला, महेश सिंह नेगी, करन माहरा, गोविन्द सिंह कुंजवाल, राम सिंह कैड़ा, दीवान सिंह बिष्ट, आदेश सिंह चौहान, राजकुमार ठुकराल, राजेश शुक्ला, सौरभ बहुगुणा, प्रेम सिंह, मुन्नी देवी शाह, चन्द्र पंत, महेश सिंह जीना, जीआई जी मैन विधायकों ने एक बार भी संपत्ति का ब्यौरा विधानसभाको नहीं दिया है।
जानकारी के अनुसार 20 विधायकों ने अपना सम्पत्ति दायित्वों का प्रथम अनुसूची का विवरण तो दिया है।लेकिन द्वितीय अनुसूची का संपत्ति अर्जन तथा व्ययन का वार्षिक विवरण नहीं दिया है। इन विधायकों में प्रेमचन्द्र अग्रवाल, केदार सिंह रावत, गणेश जोशी, बलवंत सिंह भौर्याल, सतपाल महाराज, विनोद चमोली, हरभजन सिंह चीमा, खजान दास, धन सिंह रावत, चंदन राम दास, भरत सिंह चौधरी, मदन कौशिक, महेन्द्र भट्ट, पूरन सिंह फर्त्याल, कैलाश चंद्र गहतोड़ी, यशपाल आर्य, प्रीतम सिंह पंवार, रघुनाथ सिंह चौहान, संजीव आर्य, हरक सिंह रावत शामिल हैं।
भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, पारदर्शिता और न जाने कितनी बड़ी बड़ी बातें करने वाले माननीय नेतागण ही जब अपनी इन बातों से कोसों दूर हैं तो इन पर कैसे नियंत्रण पाया जाए ये प्रदेश के लिए सोचनीय विषय है।